Srijan
शनिवार, 29 मार्च 2025
ईश्वर वह ओंकार
जिसने तिरस्कार सहा
किया है विष का पान
जीवन के कई अर्थ बुने
उसका हो सम्मान
कुदरत में है भेद नहीं
कुदरत में न छेद
कुदरत देती रोज दया
कुदरत करती खेद
जिसने सारा विश्व रचा
जिसका न आकार
करता है जो ॐ ध्वनि
ईश्वर वह ओंकार
2 टिप्पणियां:
Anita
29 मार्च 2025 को 9:53 pm बजे
ॐ तत् सत्
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Priyahindivibe | Priyanka Pal
29 मार्च 2025 को 10:44 pm बजे
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