Srijan
रविवार, 24 जुलाई 2011
kavivar
ज्ञान सूर्य का हुआ उदय तो सुधरा कल और आज
कुरीतिया मिट गई विकसित हुआ समाज
अशिक्षा के अंधकार में अत्याचारी करते राज
साक्षरता के ज्ञान से सुधर गए सब काज
जुड़ा हुआ मालव माटी से सुनहरा इतिहास
मूरख से विद्वान् बने थे कविवर कालिदास
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वेदना ने कुछ कहा है
आई याद मां की
सखिया करती हास ठिठौली
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
अपनो को पाए है
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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