जिंदगी ईश्वर ने दी है ,जो आत्मा की नाव है
पतवार खै कर बढ़ मुसाफिर ,उस तरफ एक गाँव है
खो रहा विश्वास प्यारा ,दंश है और घाव है
जल राह पर गहराए भंवर,भटकाव ही भटकाव है
जिंदगी शतरंज बनती ,चलते शकुनी दांव है
तपती रही सुबह दोपहर ,दिखती नहीं कही छाँव है
मधु प्रेम का मिलता नहीं है ,टकराव ही टकराव है
स्नेह नाव को ले चल मुसाफिर ,लगाव का न भाव है
रहा आसान नहीं ये सफ़र ,ठहराव नहीं बिखराव है
चारो तरफ रही आंधिया है ,डग-मग रही यह नाव है
पतवार खै कर बढ़ मुसाफिर ,उस तरफ एक गाँव है
खो रहा विश्वास प्यारा ,दंश है और घाव है
जल राह पर गहराए भंवर,भटकाव ही भटकाव है
जिंदगी शतरंज बनती ,चलते शकुनी दांव है
तपती रही सुबह दोपहर ,दिखती नहीं कही छाँव है
मधु प्रेम का मिलता नहीं है ,टकराव ही टकराव है
स्नेह नाव को ले चल मुसाफिर ,लगाव का न भाव है
रहा आसान नहीं ये सफ़र ,ठहराव नहीं बिखराव है
चारो तरफ रही आंधिया है ,डग-मग रही यह नाव है
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