गीत गजल में प्रीत रहे ,करे भजन प्रभु लीन
गजल नयन को सजल करे ,गजल करे गमगीन
भजन सृजन मनोभाव है, भज ले ईश प्रतिदिन
सूरदास रैदास हुए ,मीरा पद प्राचीन
जीवन संध्या रात है ,बाल्यकाल प्रभात
प्रतिदिन बीता जात रहा ,समय दे रहा मात
गजल नयन को सजल करे ,गजल करे गमगीन
भजन सृजन मनोभाव है, भज ले ईश प्रतिदिन
सूरदास रैदास हुए ,मीरा पद प्राचीन
जीवन संध्या रात है ,बाल्यकाल प्रभात
प्रतिदिन बीता जात रहा ,समय दे रहा मात
सभी बलो में है उत्तम , आत्म का ही बल
आत्मा बल के बिना हुआ , धन बल भी निर्बल
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