मन के मृदु भावो से आती ,यह प्यार भरी मीठी बोली
गम गीतों से होता मुखरित ,गठरी मन की किसने खोली
गम गीतों से होता मुखरित ,गठरी मन की किसने खोली
प्रीती की होती मूक भाषा प्रियतम में रहती अभिलाषा
भावो का पंछी रह प्यासा . हुई खुशियों की ओझल टोली
जीवन में जंगल है ,दंगल ,जंगल ही देता है संबल
धनबल के हाथो है मंगल ,धनहीन को मिलती है गोली
आँखों में भावो का है जल ,राहो पर बिखरा है मरुथल
नभ में आशा का उदयाचल ,उषा के हाथो में रोली
निर्धन के आंसू में आहे ,सत-जन को मिलती कब चाहे
नभ में आशा का उदयाचल ,उषा के हाथो में रोली
निर्धन के आंसू में आहे ,सत-जन को मिलती कब चाहे
जुल्मो की होती घटनाए ,जलती आस्था की है होली
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