शुक्रवार, 11 मई 2012

माता मे ईश्वर, की सत्ता

माता से  है अनुपम रिश्ता,ममता मे रमता है ईश
ममता मे करूणा है रहती,करूणा मे रहती है टीस
माता की छाया मे जन्नत,बेटा तो है माँ की मन्नत
माता के चरणो मे रहकर ,भगवन का मिलता आशीष

माता के छलके जब आंसू  भावो की हो गई बारिश
माता मे ईश्वर, की सत्ता ,माता के है शक्ति-पीठ
माँ का प्यार न जिसने पाया,पाकर जीवन वह पछताया
माता का कर लो अभिनंदन,वंदन से हर्षित जगदीश

माता हो तो पोंछे आँसू, बिन माँ के रोई ख्वाईश
धरती होती सबकी माता,माताये होती दस-दिश
तन-मन जिस पर है इतराता ,सबसे प्यारी भारत माता
माता को है अर्पण जीवन,माता को अर्पित है शीश

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज