कल में बसता हल है
,कल को लेकर चल
जो कल के न साथ चला मिले है अश्रु जल
कल की जिसको चाह नही
वो क्या जाने फल
हर पल सुधरा आज तो
सुधरे कल हर पल
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
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