कल में बसता हल है
,कल को लेकर चल
जो कल के न साथ चला मिले है अश्रु जल
कल की जिसको चाह नही
वो क्या जाने फल
हर पल सुधरा आज तो
सुधरे कल हर पल
चीनी से हम छले गये ,घटना है प्राचीन ची ची करके चले गए, नेता जी फिर चीन सीमा पर है देश लड़ा ,किच किच होती रोज हम करते व्यापार रहे, पलती उनकी फ...
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