धीरज धर सुखी रहे ,दुःख पाये अधीर
जो दुःख में सुखी रहे ,कहलाता रणधीर
जो दुःख में सुखी रहे ,कहलाता रणधीर
नीरज का अज नीर है ,बनी दूध से खीर
धन के हाथो नहीं बिका ,सत जिसकी जागीर
राज्य बिना अवधूत रहे ,सूर मीरा कबीर
मुक्ति भक्ति के साथ रहे, टूटी भव जंजीर
मिटटी की यह देह रही ,मिटटी की है गेह
मिटटी पर जो मर मिटे ,मिटटी देती स्नेह
मिटटी पर जो मर मिटे ,मिटटी देती स्नेह
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