लिए जल शिखर से बहती नदी है
हुई बाढ़ लीला घटी त्रासदी है
हुई बाढ़ लीला घटी त्रासदी है
खारा हुआ जल ,खारी हुई लहरे
समन्दर के भीतर छुपे राज गहरे
बिंदु से सिन्धु में बदलती नदी है
पर्वत की रानी ने पहने है कुंडल
हिम के शिखर है जल के कमंडल
फल फूलो से मेवो से घाटी लदी है
मान सरोवर है मन का सरोवर
कैलाश के पास शिव की धरोहर
गंगा का संगम अब हुगली नदी है
मधुर जल है नभ पर नहीं जल है भू पर
मृदु जल है निर्झर मलिन जल समन्दर
जल यात्रा में बीती ही जाती सदी है
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