पतझड़ पतझड़ हुई जवानी
अल्हड आशा कुल्हड़ पानी
भावो की बदरी है बरसे ,
घावो की पीड़ा है तरसे
आ भी जाओ बरखा रानी
भीगी क्यों नहीं प्यारी चुनरिया
आये क्यों नहीं मेरे सावरिया
रीत ऋतूअन की होती सुहानी
काली प्यारी कोयल बोले
मयूरा छलिया नाचे डोले
छाए मेघा बरसे पानी
पतझड़ से हरियाता है वन
फूट गई कोपल आया सावन
परिवर्तन क्यों ?दे हैरानी
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