मंगलवार, 7 जुलाई 2020

तिमिर पीकर जो आया सफलता पाता

निरंतर चलने का नाम जीवन है 
ध्येय से मिलने का नाम जीवन है 
क्यो ? उदास बैठे हो मेरे भाई
परस्पर मिलने का नाम जीवन है

निरन्तर कर्मरत रह जो जी पाया है 
मीठी मुस्कान का पल उसने पाया है
थका है क्यो ? राही इस मुकाम पर 
पूरा आसमान पैरो तले आया है 

कठिन है राह पर चुप रहा नही जाता
 रहा भीतर है जो दर्द सहा नही जाता
झूठे सपनो को हम नही जिया करते है
तिमिर पीकर जो आया सफलता पाता

निरन्तर चीर जिसने बढ़ाया है 
कान्हा चित्त में मेरे आया है 
रही जहां भी कही करुणा है 
मैंने घनश्याम को वही पाया है


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज