शिव ज्योतिर्मय रूप रहे ज्योति का आव्हान
सोमवार हर वार रहे मन से हटे विकार
शिव जी के इस मास में सत्य वचन स्वीकार
शिव जी तो अवधूत रहे उनके भैरव भूत
नागों के वे नाथ रहे लिपटे देह भभूत
जीने का आधार रहा शिव जी का परिवार
वे बंधु है मात पिता सबके तारण हार
शिव जी सबके पूज्य रहे क्या दानव क्या देव
भस्मासुर वर मांग गया रावण के महादेव
शिव जी से संतोष मिला पाया है प्रसाद
संकेतो से बात करे शब्द परे सम्वाद
शिव संजीवन बाँट रहे ,करते रोग निदान
मृत्युंजय महामंत्र रहा,जीवन का वरदान
शिव का सत्संकल्प रहा हो सबका कल्याण
सज्जनता के साथ रहे,बीज ,नींव से निर्माण
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