मंगलवार, 14 जुलाई 2020

लिपटे देह भभूत

जैसा जिसका भाव रहा वैसे है भगवान
शिव ज्योतिर्मय रूप रहे ज्योति का आव्हान

 सोमवार हर वार रहे मन से हटे विकार 
शिव जी के इस मास में सत्य वचन स्वीकार

शिव जी तो अवधूत रहे उनके भैरव भूत
नागों के वे नाथ रहे लिपटे देह भभूत

जीने का आधार रहा शिव जी का परिवार
वे बंधु है मात पिता सबके तारण हार

शिव जी सबके पूज्य रहे क्या दानव क्या देव
भस्मासुर वर मांग गया रावण के महादेव

शिव जी से संतोष मिला पाया है प्रसाद
संकेतो से बात करे शब्द परे सम्वाद

शिव संजीवन बाँट रहे ,करते रोग निदान
मृत्युंजय महामंत्र रहा,जीवन का वरदान

शिव का सत्संकल्प रहा हो सबका कल्याण
सज्जनता के साथ रहे,बीज ,नींव से निर्माण

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज