निरंतर परिश्रम कर देह को तपाया है
गर्म लू में झुलस कर पसीना बहाया है
माना तुझको न मिला आसमान है
पर चिरागों ने हौसला तुझसे पाया है
सिर्फ जीना ही नही पाने कई मुकाम है
जिंदगी उगती सुबह ढलती हुई शाम है
हर किनारे ने कभी मझदार को पाया है
पला मझदार के बीच बड़ा इंसान है
तिमिर को चीर कर है रोशनी जहा आती
प्रतिभाए परिष्कृत हो वहा है चमचमाती
अंधेरे हौसलो को कभी हरा नही सकते
तमस में दीप टोली ही सदा है जगमगाती
बहुत सुंदर 👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ����
जवाब देंहटाएंबहूत सूंदर sir।
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