निरंतर चलने का नाम जीवन है
ध्येय से मिलने का नाम जीवन है
क्यो ? उदास बैठे हो मेरे भाई
परस्पर मिलने का नाम जीवन है
निरन्तर कर्मरत रह जो जी पाया है
मीठी मुस्कान का पल उसने पाया है
थका है क्यो ? राही इस मुकाम पर
पूरा आसमान पैरो तले आया है
कठिन है राह पर चुप रहा नही जाता
रहा भीतर है जो दर्द सहा नही जाता
झूठे सपनो को हम नही जिया करते है
तिमिर पीकर जो आया सफलता पाता
निरन्तर चीर जिसने बढ़ाया है
कान्हा चित्त में मेरे आया है
रही जहां भी कही करुणा है
मैंने घनश्याम को वही पाया है
सुन्दर रचना ... भक्ति प्रेम, कान्हा प्रेम से सरोबर ....
जवाब देंहटाएंश्रीमान का आभार
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद
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