गुरुवार, 23 जुलाई 2020

तेरी परछाई है

भींगे हुए सपनो ने 
ओढ़ी रजाई है
बीती हुई यादों की 
तस्वीर सजाई है
सोई हुई रातो ने 
निदिया लगाई है
गीतों की ये धुन है 
जुगनू की रुन झुन है
सीने में धड़कन है 
तेरी परछाई है

उगता हुआ सूरज है 
डूबता हुआ तारा है 
सींचा गया उपवन 
अब कांटो से हारा है
खुशियों की लालिमा 
किसने चुराई है 
लूटी हुई बस्ती है 
बिखरा अंधियारा है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज