सचमुच जीवन पाया है पाये है अधिकार
पूर्वजो का साथ मिला पाई सूझ बूझ सीख
नन्ही गुड़िया नाच रही किलकारी और चीख
कितने सारे फूल गिरे पग पग बरसा नभ
माँ के पग आशीष रहा जीवन है जगमग
कितनी पावन रीत रही कितना प्यारा भव
पितरो का यह श्राध्द रहा श्रध्दा का उत्सव
अपने थे जो चले गए इस भव के उस पार
पितरो का परलोक रहा सपनो का संसार
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