सूनी सूनी रही डगरिया, सूने है पनघट
जंगल मे सुख चैन बसा ,नियति का सौंदर्य
झर झर निर्झर शोर करे, सिंह का अद्भुत शौर्य
सन्नाटो में शोर नही ,उपवन बिखरे राग
कोकिल बोले मीठी बोली ,करे ठिठौली काग
जीवन मे जहां राम नही वहां न निश्छल स्नेह
छल की कैकयी रोप रही है मन मे कुछ संदेह
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया के लिए आभार
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जवाब देंहटाएंकोमल भाव
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