गुरुवार, 24 सितंबर 2020

जीत जाती खुद्दारी है

अंधियारे के भीतर सुलगती रही चिंगारी है 
चिंगारी के बिना उजाले ने यह दुनिया हारी है
बदल जाते है भाग जब होती सीने में आग है
हारी सदा ही खुदगर्जी जीत जाती खुद्दारी है

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आँगन का दीपक

जहा दिव्य हैं ज्ञान  नहीं  रहा  वहा  अभिमान  दीपक गुणगान  करो  करो  दिव्यता  पान  उजियारे  का  दान  करो  दीपक  बन  अभियान  दीपो ...