Srijan
सोमवार, 7 सितंबर 2020
दुख का साथी कौन
टिम टिम जलता दीप रहा जुगनू के है दल
जुगनू करते शोर रहे दीप से तम उज्ज्वल
दुख के साथी कहा गये सुख के साथी साथ
पीडायें दिन रात जगी होते छल और घात
अपनो का न साथ रहा अपनो का न बल
अपनो से ही हार गया डूबता अस्ताचल
सपने सारे ध्वस्त हुए कविता हो गई मौन
छल पाकर हम पस्त हुए दुख का साथी कौन
1 टिप्पणी:
सुशील कुमार जोशी
7 सितंबर 2020 को 10:21 am
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