अनुभव के जो पाठ रहे जीवन था समृध्द
अपनो का सामीप्य मिले रिश्तो का हो मान
सीख मिले बुजुर्गो से अनुभव के वरदान
धन वैभव तो वही रहा जहां पितरो का साथ
पूर्वज जब तक साथ रहे कर लो उनसे बात
जब तक उनका साथ रहा पूरे थे अरमान
हम बच्चे ही बने रहे रखते थे वे ध्यान
हरि के हाथों फूल खिले दे कंचन मुस्कान
मात पिता से पाया तन जीवन के सामान
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंमहोदय की माहत्वपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार
हटाएंबुजुर्गों का साया बना रहे और उनका हाथ सिर पर रहे तो जीवन में एक समृद्धि का अहसास होता है, सुंदर भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंआभार
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