भक्ति से शक्ति मिले ,शक्ति से मिले शिव
शिव शरणम में जो गया ,सजीव हो गया जीव
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भावो में भक्ति रही ,नवधा भक्ति जान
भक्ति से श्री हरी मिले , मिटे मिथ्य अभिमान
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शिव शरणम में जो गया ,सजीव हो गया जीव
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भावो में भक्ति रही ,नवधा भक्ति जान
भक्ति से श्री हरी मिले , मिटे मिथ्य अभिमान
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भक्त भजे भगवान् को ,भगवन बसे ह्रदय
जो भगवन के ह्रदय बसे ,उसकी मुक्ति तय
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मीरा सूर रैदास रहे ,कान्हा में विभोर
तुलसी की रामायण में ,मुक्ति की है डोर
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राधा मीरा पार गयी ,भक्ति नदिया चीर
जप तप करते नहीं मिली ,कान्हा तेरी पीर
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भक्ति रस की खान है ,भक्ति है हनुमान
सरयू तट केवट हुई ,भक्ति की पहचान
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भावो का एक योग ही ,भक्ति को तू जान
भक्तो को यहाँ ढूंढ रहे ,दीनबंधु भगवान्
राजा और महाराज रहे ,हर युग में चहु और
भक्तराज प्रहलाद हुए ,था सतयुग का दौर
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राधा मीरा पार गयी ,भक्ति नदिया चीर
जप तप करते नहीं मिली ,कान्हा तेरी पीर
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भक्ति रस की खान है ,भक्ति है हनुमान
सरयू तट केवट हुई ,भक्ति की पहचान
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भावो का एक योग ही ,भक्ति को तू जान
भक्तो को यहाँ ढूंढ रहे ,दीनबंधु भगवान्
राजा और महाराज रहे ,हर युग में चहु और
भक्तराज प्रहलाद हुए ,था सतयुग का दौर
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