देखो सोचो जान लो गलती के परिणाम
कुदरत ने यह रोग दिया मुश्किल में है प्राण
उतरो गहरे जान लो न देखो उन्मान
गहराई में खोज मिली , गहरी गुण की खान
जो कुछ है पुरुषार्थ यहां , उसके आगे ईश
आलस में सामर्थ्य नही आलस व्यापत विष
निर्जन वन अब कहाँ गये, कहा गया एकांत
अब ऐसा एक रोग लगा ,गलिया भी है शांत
सूंदर
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