गहरी मन की प्रीत रही , मिलने को बैचेन
सूरज से है सांझ मिली, पल पल ढलती रैन
चलने को न साथ मिला,राहे बिल्कुल शांत
बिन मांगे ही मिला यहाँ, जीवन मे एकांत
आड़ी तिरछी रेख खींची, घुले रंग में इत्र
आधुनिकता साथ रही, आधुनिक है चित्र
सडको पर न धूल मिली, निर्मल नील आकाश
निर्मल नदिया नीर हुआ, जीवन को अवकाश
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