Srijan
गुरुवार, 24 सितंबर 2020
जीत जाती खुद्दारी है
अंधियारे के भीतर सुलगती रही चिंगारी है
चिंगारी के बिना उजाले ने यह दुनिया हारी है
बदल जाते है भाग जब होती सीने में आग है
हारी सदा ही खुदगर्जी जीत जाती खुद्दारी है
1 टिप्पणी:
Anita
25 सितंबर 2020 को 4:34 am बजे
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