शनिवार, 31 दिसंबर 2011

मूल्यों को दे चुके बिदाई

नये साल की तुम्हे बधाई
बुरा वक्त है सम्हालना भाई
गया अन्धेरा विगत वर्ष का
नवीन वर्ष की भौर सुहाई 


बीता बरस था बड़ा ही क्रूर 

चक्रवात नदिया भरपूर 
क्रूर काल से कोई नहीं दूर 
समय के आगे सब मजबूर 
दुस्वप्नो ने नींद उड़ाई 
आंसू अरमानो की कमाई 
 सुख- संचय की दौड़ भाग में 
सुध-बुध खुद की बिसराई
 

करे प्रियंका नृत्य निराला 
प्रतिभा को दे देश निकाला 
टू-जी -स्पेक्ट्रम का घौटाला
बेईमान धन का रखवाला
सच्चाई के होठ सिल चुके 

तंत्र बना मकड़ी का जाला
मूल्यों को दे चुके बिदाई
गुंडों की हो चुकी रिहाई

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज