पत्नी देवी नमो नमः हो घर की तुम ताज
तुमसे से ही सुख शांति रहे , मत हो तू नाराज़
जब से तेरा साथ मिला तन मन है गदगद
जिज्ञासा भी शांत हुई जानी खुद की हद
पत्नी के ही पाव पड़ो,पत्नी को दो भाव
पत्नी से ही तृप्ति मिली ,पत्नी देती घाव
हर दर्पण में देख छवि होता हूँ मै धन्य
पत्नी से ही प्रीत रही ,भक्ति है अनन्य
पत्नी पथ पर साथ रहे , जीवन हो आबाद
जो उसके संग रह न सका , बिल्कुल है बर्बाद
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