रविवार, 12 अप्रैल 2020

पत्नी देवीं नमो नमः

पत्नी देवी नमो नमः हो घर की तुम ताज
तुमसे से ही सुख शांति रहे , मत हो तू नाराज़

जब से तेरा साथ मिला तन मन है गदगद
जिज्ञासा भी शांत हुई जानी खुद की हद

पत्नी के ही पाव पड़ो,पत्नी को दो भाव 
पत्नी से ही तृप्ति मिली ,पत्नी देती घाव

हर दर्पण में देख छवि होता हूँ मै धन्य
पत्नी से ही प्रीत रही ,भक्ति है अनन्य

पत्नी पथ पर साथ रहे , जीवन हो आबाद
जो उसके संग रह न सका , बिल्कुल है बर्बाद 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपनो को पाए है

करुणा और क्रंदन के  गीत यहां आए है  सिसकती हुई सांसे है  रुदन करती मांए है  दुल्हन की मेहंदी तक  अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में  अपन...