धन वैभव की चाह नही ,था योगी का हठ
परशु को न बांध सका अत्याचारी शठ
अक्षय ऊर्जा साथ रहे , भगवन दो वरदान
सत का संग कर पाऊ मैं , जैसे परशु राम
दीन दुर्बल के रक्षक थे परशु धारी राम
हे!भगवन सब कष्ट हरो , तुमको करु प्रणाम
सत्ता से वे दूर रहे , शोषित जन के साथ
शत्रु का साम्राज्य ढहा, परशु जी के हाथ
पद पैसे की चाह नही , घर जैसे हो नीड़
सत का बल ही चाहिए, नही चाहिए भीड़
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