प्रीत और सौंदर्य पर थे वे लगाते बोलीया
सामने संवेदना के शत्रुओ की टोलिया
असहाय हो गए थे छल धन बल के समक्ष
प्रीत के क्या ? प्राण लेगी ये रिवॉल्वर गोलिया
धन की चाह में फैलाई याचको ने झोलिया
मन की आहों ने उठाई अर्थिया और डोलिया
भीड़ में ही खो गई थी आत्मीयता कही
अपने लोगो ने जलाई अरमानो की होलिया
आकाश के उस छोर से है उठती आशा किरण
हुई आग सी संकल्पना बढ़ते गए उसके चरण
वह तोड़ती है वर्जना चित्रित हुई हर सर्जना
लो आ गई तम चीरकर हुआ चेतना का संचरण
सामने संवेदना के शत्रुओ की टोलिया
असहाय हो गए थे छल धन बल के समक्ष
प्रीत के क्या ? प्राण लेगी ये रिवॉल्वर गोलिया
धन की चाह में फैलाई याचको ने झोलिया
मन की आहों ने उठाई अर्थिया और डोलिया
भीड़ में ही खो गई थी आत्मीयता कही
अपने लोगो ने जलाई अरमानो की होलिया
आकाश के उस छोर से है उठती आशा किरण
हुई आग सी संकल्पना बढ़ते गए उसके चरण
वह तोड़ती है वर्जना चित्रित हुई हर सर्जना
लो आ गई तम चीरकर हुआ चेतना का संचरण
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