तू अपने घर दीप जला,फैला दे आलोक
हट जाए संत्रास सभी , मिट जायेगा शोक
जीवन का रस कहा गया, कहा गया आनंद
दीपक हर पल देत रहा ,महकी महकी गंध
टिम टिम करता दमक रहा ,तारो से आकाश
एक दीपक जल देत रहा तन मन को विश्वास
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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