तू अपने घर दीप जला,फैला दे आलोक
हट जाए संत्रास सभी , मिट जायेगा शोक
जीवन का रस कहा गया, कहा गया आनंद
दीपक हर पल देत रहा ,महकी महकी गंध
टिम टिम करता दमक रहा ,तारो से आकाश
एक दीपक जल देत रहा तन मन को विश्वास
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
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