पसीना है गंगा जल
जब किसने बहाया हैं
मेहनत से शोहरत का
सूरज उग पाया हैं
सपनों मे कर्मों की
रहती जहा गीता है
मस्तक वह पिता के
चरणों में झुक पाया है
जहा दिव्य हैं ज्ञान नहीं रहा वहा अभिमान दीपक गुणगान करो करो दिव्यता पान उजियारे का दान करो दीपक बन अभियान दीपो ...
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