खन खनाती चूड़ियों में
साज है श्रृंगार है
बज रही पायल जहा पर
सुर अपरम्पार है
आंख में लज्जा पानी
बिंदिया लगती सुहानी
स्वर जब कोमल मधुर हो
स्वर्ग यह संसार हैं
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
सच मीठी वाणी का कोई मोल नहीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति