खन खनाती चूड़ियों में
साज है श्रृंगार है
बज रही पायल जहा पर
सुर अपरम्पार है
आंख में लज्जा पानी
बिंदिया लगती सुहानी
स्वर जब कोमल मधुर हो
स्वर्ग यह संसार हैं
जहा दिव्य हैं ज्ञान नहीं रहा वहा अभिमान दीपक गुणगान करो करो दिव्यता पान उजियारे का दान करो दीपक बन अभियान दीपो ...
सच मीठी वाणी का कोई मोल नहीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति