बुधवार, 28 जून 2023

अपना है अंदाज


ऊँची  जिसकी  सोच  रही,   ऊँची  है  परवाज़ 
मूल्यवान मौलिक  वहीं, अपना है  अंदाज 

कर्मों  से बोल  रहा  ,मुख से  न  वाचाल 
मरु थल में नीर मिला , खोदे  जो  पाताल 

उसका  कोई  मूल्य  नहीं,  जो  व्यक्तित्व  विहीन 
अपने दुर्गुण  दूर  करे ,  सुसंस्कृत  कुलीन 

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज