सोमवार, 26 जून 2023

बेटा इकलौता है

 जो खुद  ही  न  सुधरा 
ख़ुद  ही  पछताया  है 
जीवन मे  सुख  नहीं 
दुख ही तो पाया  है 
आँखों  से  निकले  है  
जब  उसके  आँसू 
आँसू के  जल  से  ही  
खुद को  नहलाया  है 

भीतर  ही  भीतर  जो 
 छुप छुप कर  रोता है 
मिलता  कहीं  चैन 
जगता न  सोता  है 
सच मुच न  होती  हैं 
उसकी  भरपाई  हैं 
दुख दर्द  पाता  है 
बेटा  इकलौता  है 

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज