चू -चु करके चहक रहे
बगिया आँगन नीड़
जब पूरब से भोर हुई
चिडियों की है भीड़
सुन्दरतम है सुबह रही
महकी महकी शाम
सुबह के उजियारे को
चिड़िया करे सलाम
जब भी दूर तक बात गई
हो गई पूरी रात
घटनाओं का दौर चला
हो गये दो दो हाथ
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