शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

वहीं रहा गुमराह

होठों  पर  मुस्कान  रखो 
मन  मे  शुध्द  विचार 
मिट जायेगे  दोष  सभी 
मिटेगा  व्याभिचार 

जीवन का  वरदान  मिला  
कर इसका  सम्मान 
श्रम  के  पथ  से  पायेगा 
मंजिल  और  अरमान 

श्रम से  सब  भ्रम  दूर  रहे 
श्रम से  मिले  शिखर 
 जीवन  मे  सब  साध्य  रहे 
श्रम  से  जाये  निखर 


जीवन कोई उद्देश्य नहीं 
 बस खुद  की  परवाह 
राहों  में  है भटक  रहा 
वहीं  रहा  गुमराह 

2 टिप्‍पणियां:

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