सुख सपनों को लील गये
लोलुपता और स्वार्थ
अब रिश्तों में रहा नहीं
जीवन का भावार्थ
हर रास्ते पर झूठ खडे
सब दरवाजे बन्द
होठों से हैं फूट पड़े
बोलो की दुर्गन्ध
किस्मत में है मिले नहीं
खुशियो के कहीं गीत
बिखरा बिखरा मौन रहा
सन्नाटों की जीत
संवादों के पुल ढहे
काली काली रात
उजियाले भी दूर रहे
छले गये ज़ज्बात
पथ पर कांटे मिले जहा
वहीं मिले है फूल
अनुभव मन की याद रही
जीवन का स्कूल
मार्मिक रचना
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