सोचता हूँ चाँद मेरा क्यों हो गया उदास है
पूर्णिमा की यामिनी में खो गया उल्लास है
भावना विह्वल हुई ठिठुरता हर दर्द है
हिम हुई कल्पनाये ,दुबका हुआ सौहार्द है
छा रहा घनघोर कोहरा बढ़ गई क्यों प्यास है
पूर्णिमा की यामिनी में खो गया उल्लास है
भावना विह्वल हुई ठिठुरता हर दर्द है
हिम हुई कल्पनाये ,दुबका हुआ सौहार्द है
छा रहा घनघोर कोहरा बढ़ गई क्यों प्यास है
रास्ते भी है कंटीले ,हर तरफ है विष बेले
फूलो के भीतर छुपे है नाग है जो जहरीले
लुप्त होती जा रही विश्वास पर टिकी आस है
फूलो के भीतर छुपे है नाग है जो जहरीले
लुप्त होती जा रही विश्वास पर टिकी आस है
रास्ते भी है कंटीले ,हर तरफ है विष बेले
जवाब देंहटाएंफूलो के भीतर छुपे है नाग है जो जहरीले
लुप्त होती जा रही विश्वास पर टिकी आस है
Wah! Bahut khoob!
भावना विह्वल हुई ठिठुरता हर दर्द है
जवाब देंहटाएंहिम हुई कल्पनाये ,दुबका हुआ सौहार्द है
भावों और शब्दों का सफल संयोजन !