कर इसका सम्मान
श्रम के पथ से पायेगा
मंजिल और अरमान
श्रम से सब भ्रम दूर रहे
श्रम से मिले शिखर
जीवन मे सब साध्य रहे
श्रम से जाये निखर
जीवन कोई उद्देश्य नहीं
बस खुद की परवाह
राहों में है भटक रहा
वहीं रहा गुमराह
दीपक मन की पीर हरे हर ले असत तिमिर रोशन वह ईमान करे मजबूत करे जमीर पग पग पर संघर्ष करे सत्य करे न शोर वह मांगे कुछ और नहीं मांगे मन की भो...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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