रविवार, 13 सितंबर 2020

कहा गए है वृध्द

सुख के साधन कहा गए कहा गए है वृध्द
अनुभव के जो पाठ रहे जीवन था समृध्द

अपनो का सामीप्य मिले रिश्तो का हो मान
सीख मिले बुजुर्गो से अनुभव के वरदान

धन वैभव तो वही रहा जहां पितरो का साथ
पूर्वज जब तक साथ रहे कर लो उनसे बात

जब तक उनका साथ रहा पूरे थे अरमान 
हम बच्चे ही बने रहे रखते थे वे ध्यान

हरि के हाथों फूल खिले दे कंचन मुस्कान
मात पिता से पाया तन जीवन के सामान

4 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. महोदय की माहत्वपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार

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  2. बुजुर्गों का साया बना रहे और उनका हाथ सिर पर रहे तो जीवन में एक समृद्धि का अहसास होता है, सुंदर भावपूर्ण रचना !

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज