वो सुविधा के संग रहे , मेरे संग मुस्कान
उनका प्यारा कोई रहा ,मुझको सबसे प्यार
जीवन में न कोई सगा, जाना है उस पार
एक अकेला मौन रहा ,रहा भीड़ में शोर
जो न भीड़ का भाग रहा ,वह होता कुछ और
दूजे को तो दोष दिया ,लिया स्वयं ने श्रेय
उसका होता कोई नही ,मिला नही है ध्येय
चंचल नदिया नीर रहा,रहा अडिग है गिर
जीवन मे तू आग लगा ,झुका नही यह सिर
वाह !सुंदर जीवन दर्शन
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