निर्मलता अनमोल रही ,निर्मल मन का तीर
जीवन भर विषपान किया, रहा कर्म में लीन
उसका मत अपमान करो , बंधुवर दीन हीन
जो व्यक्ति है धैर्यविहीन , उसका शून्य वितान
संकल्पों से धैर्य रहा, श्रम से है उत्थान
जीवन में निर्भयता का , सदगुण लेना भर
जिसके मन आतंक नही, होता है निडर
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