अंधियारे में हुई साधना,अँधियारा सौगात
अंधी बहरी हुई वेदना, अन्धा बहरा युग
अंधी होती रही कामना , अंधी धन की भूख
अंधी होती रही आस्था, आस्था का सम्बल
सीधा सच्चा चलो रास्ता , फैले है दल दल
अंधो की न हुई शाम है , हुये दिन न रात
अन्धो का है यही ठिकाना, अन्धो के दिन सात
अंधो की है रही वेदना,, कर लो तुम अहसास
भीतर उनके रही चेतना, अनुभव मोती पास
अंधे बहरे मौन रहे , सम्वेदना से शून्य
सम्बन्धो से रिक्त हुए , ऐसे कैसे पुण्य
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