शुक्रवार, 18 जून 2021

अंधी धन की भूख


अंधियारी इक रात हुई अंधियारे में बात
अंधियारे में हुई साधना,अँधियारा सौगात

अंधी बहरी हुई वेदना, अन्धा  बहरा युग
अंधी होती रही कामना , अंधी धन की भूख

अंधी होती रही आस्था, आस्था का सम्बल
सीधा सच्चा चलो रास्ता , फैले है दल दल

अंधो की न हुई शाम है , हुये दिन न रात
अन्धो का है यही ठिकाना, अन्धो के दिन सात

अंधो की है रही वेदना,, कर लो तुम अहसास
भीतर उनके रही चेतना, अनुभव मोती पास 

अंधे बहरे मौन रहे , सम्वेदना से शून्य
सम्बन्धो से रिक्त हुए , ऐसे कैसे पुण्य


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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज