जीवन मे मकरन्द नही
कहा गये वो शौक
सृजन से तू स्वर्ग बना
कोरोना को रोक
चिड़िया रानी लुप्त हुई
चहकी न कोयल
फल के मिलते पेड़ नही
फूटी नही कोपल
उड़ते खग नभ संग रहे
करते रहे विचार
नभ तक क्यो विस्तीर्ण हुए
ये बिजली के तार
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
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