जीवन मे मकरन्द नही
कहा गये वो शौक
सृजन से तू स्वर्ग बना
कोरोना को रोक
चिड़िया रानी लुप्त हुई
चहकी न कोयल
फल के मिलते पेड़ नही
फूटी नही कोपल
उड़ते खग नभ संग रहे
करते रहे विचार
नभ तक क्यो विस्तीर्ण हुए
ये बिजली के तार
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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