Srijan
सोमवार, 7 जून 2021
जिसकी ऊपर डोर
जो जितना ही दूर रहा, वह उतना ही पास
ह्रदय के सामीप्य रहा , सुख दुख का अहसास
बाहर से है सख्त कठोर , भीतर से कमजोर
उसके भीतर कौन रहा, जिसकी ऊपर डोर
जो व्यक्ति उपकार करे , वह पाता सहयोग
जो स्वार्थी उपकार विहीन, पाया उसने रोग
1 टिप्पणी:
Anita
8 जून 2021 को 2:57 am बजे
सुंदर सृजन
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