गुरुवार, 3 जून 2021

सज्जित है षड्यंत्र

व्यवहारिक कठिनाइया , हल दोहो के पास 
इनसे समझो जान लो ,भावी कल इतिहास

उनका अपना तंत्र रहा, उनका मारक मंत्र
स्तम्भित पुरुषार्थ रहा, सज्जित है षड्यंत्र

दिन गुजरे और रात गई, बीतता कल इतिहास
कठपुतली की खेल हुई , जीवन की हर श्वास

हृदय अब विदीर्ण हुआ , रहे फेंफड़े हाँफ
बीमारी का पार नही , कोरोना का ग्राफ

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज