शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

हर जीव का कल्याण

अब तीर्थो में देव नही , भीतर है भगवान
भीतर ही देदीप्य हुआ , भीतर हुआ विहान

सूरज में वो आग नही , नही हिमालय हिम 
बे मौसम है बरस रही , बारिश की रिम झिम

उगता डूबता रोज रवि, सागर के उस पार
सागर पर है साँझ मिली, किरणों का दरबार

भीतर से तू भाग रहा, भीतर है निर्वाण
भीतर भीतर हुआ करे, हर जीव का कल्याण

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज