चिंतन से है सोच ढली, खुली हृदय की आंख
चिंतन जीवन वैद्य रहा , चिंतन है देवेश
चिंतन चिन्ता मुक्त करे, करते रहो निवेश
चिंतन में भगवान रहे , चिंतन में है ज्ञान
चिन्तन चित के दर्द हरे, अमृत का रसपान
जो हर पल को साध रहे, चिन्तन है महादेव
चिन्तन बंधन काट रहा, चिन्तन कर सदैव
चिन्तन से है सत्य मिला, हुई तत्व की खोज
भीतर भीतर प्यास जगी , तृप्ति मिली हर रोज
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंचिंतन की जगह चिंता ज्यादा है आजकल।
नई रचना- समानता
वाह ! बेहतरीन। इससे मिलती-जुलती मेरी भी एक रचना है। चिंतन कर लें कभी-कभी पर चिंता कभी न करना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन,
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