ऊंचाई में शिफ्ट हुये ,लिफ्ट हुए अरमान
रिश्ते थे जो बिके नही, हे मेरे सरकार
दिल से दिल तक जुड़े रहे, अंतर्मन के तार
बहरे होकर मौन हुए, रहे स्वार्थ के भाव
गहराई की और चलो, गहरा हो स्वभाव
करुणा और क्रंदन के गीत यहां आए है सिसकती हुई सांसे है रुदन करती मांए है दुल्हन की मेहंदी तक अभी तक सूख न पाई क्षत विक्षत लाशों में अपन...
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