शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

रोता एक किसान

घायल दोनों पैर हुये, घायल होते भाव
फसलों को वो सींच रहा, सर्दी में एक गांव

बारिश में है भींग रहा, थक के चकनाचूर
किस्मत उनको ले गई, सुख से कितना दूर

पलको में न नीर रहा , ऐसा भी एक मर्द
हल्का होता भार नही , कर्जा है सिरदर्द

चलते उनके पैर रहे,फिर भी नही थकान
आँखों मे भी नींद नही, रोता एक किसान

3 टिप्‍पणियां:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    20/12/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज