फसलों को वो सींच रहा, सर्दी में एक गांव
बारिश में है भींग रहा, थक के चकनाचूर
किस्मत उनको ले गई, सुख से कितना दूर
पलको में न नीर रहा , ऐसा भी एक मर्द
हल्का होता भार नही , कर्जा है सिरदर्द
चलते उनके पैर रहे,फिर भी नही थकान
आँखों मे भी नींद नही, रोता एक किसान
सुन्दर
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जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
20/12/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
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धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना
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