चिंतन लेखन पूज्य रहा, पूज्य रही सूझ बूझ
जिसका दरिया दिल रहा, जिसका चित उदार
पुरुषों में वह राम रहा, अपना कर्ज उतार
सबका दाता ॐ हरि, भूत भावी वाचक
तू उससे क्यो मांग रहा, जो खुद है याचक
सबसे सुन्दर नाम रहे, राम कृष्ण हरि ओम
हरि से पुलकित रोम रहा, शिव से पावत सोम
सुन्दर सृजन
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