बुधवार, 9 दिसंबर 2020

तू उससे क्यो माँग रहा

निर्मल पावन गति रही , नदिया को तू पूज
चिंतन लेखन पूज्य रहा, पूज्य रही सूझ बूझ

जिसका दरिया दिल रहा, जिसका चित उदार
पुरुषों में वह राम रहा, अपना कर्ज उतार

सबका दाता ॐ हरि, भूत भावी वाचक
तू उससे क्यो मांग रहा, जो खुद है याचक

सबसे सुन्दर नाम रहे, राम कृष्ण हरि ओम
हरि से पुलकित रोम रहा, शिव से पावत सोम

1 टिप्पणी:

छंदों पर प्रतिबंध है

खुली नहीं खिड़की  दरवाजे बन्द है  जीवन में बाधाएं  किसको पसन्द है कालिख पुते चेहरे हुए अब गहरे है  गद्य हुए मुखरित छंदों पर प्रतिबंध है मिली...